नीलम
नीलम
तौल :
5.000
रंग :
नीला
आकृति और कट :
मिश्रित कटिंग
नीलम एक प्रकृतिक रत्न है।यह गहरे नीले,हलके नीले,गुलाबी,जमुनी रंग का मिलता है।यह रत्न देखने में बहुत आकर्षक होता है।
नीलम को शनि ग्रह की शुभता के लिए धारण किया जाता है।नीलम धारण करने से शारीरिक,मानसिक व आर्थिक परेशानिया शांत होती है,शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बड़ती है,कार्यों में तेज़ी होती है।नीलम धारण करने से व्यक्ति के स्नायु,संधि पैर,पिंडली,तलुए,शारीरिक दर्द,मस्तिष्क वेदना,वायु विकार,अल्सर,उचच रक्त चाप,थाइरेड,कब्ज,आदि की समस्या से मुक्ति मिलती है।
नीलम धारण करने से व्यवसाय,नौकरी में आ रही बाँधा समाप्त होती है।
नीलम के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को विशेष कर भोग-विलास,पद-प्रसिद्धि,मान-सम्मान,सफलता,शारीरिक व आर्थिक लाभ मिलते है।
नीलम – व्यापारी,राजनेता,अभिनेता,चिकित्सक ,उच्चाधिकारी,कला-साहित्य आदि से जुड़े व्यक्ति पहनना पसंद करते है।
नीलम वृष लग्न,मिथुन लग्न,मेष लग्न ,कन्या लग्न,तुला लग्न,मकर व कुम्भ लग्न वाले व्यक्ति को धारण करना चाहिए।नीलम बुरे स्वप्नों से भी बचाता है।
भार व धातु-नीलम शरीर के वजन के अनुसार धारण करना चाहिए या काम से काम 6 रत्ती या उस से अधिक धारण करना चाहिए।साथ ही नीलम को सोने,चाँदी की अंगूठी पर धारण करना चाहिए।
पहनने का समय-नीलम रत्न चंद्र मॉस की शुक्ल पक्ष में किसी भी शनिवार के दिन सूर्योदय के एक घंटे बाद धारण किया जाता है।
प्राण-प्रतिष्ठा-नीलम को शुक्रवार की रात्रि में कच्चे दूध में या गंगा जल में रखना चाहिए और प्रातः काल में माँ दुर्गा या शनिदेव का आवाहन करे।नीलम को साफ जल से धोकर,लाल चन्दन लगाए,अक्षत चढ़ाये,धुप,दीप दिखाए और भगवान शनिदेव देव से शुभता के लिए प्रार्थना करे।
मन्त्र-नीलम की प्राण-प्रतिष्ठा के पश्चात हीरा धारण करने के लिए सर्व प्रथम निम्नलिखित मन्त्र का 108 बार जाप करें-
मन्त्र वैदिक-ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
मन्त्र तांत्रिक-ॐ शं शनैश्चराय नमः
मन्त्र बीज-ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
अंगुली – मन्त्र-जाप के बाद नीलम की अंगूठी को दाहिने हाथ की मध्यमा (मिडल फिंगर) अंगुली में धारण करना चाहिए।
विकल्प– नीलम के विकल्प में नीली आदि को धारण किया जा सकता है
सावधानी-ध्यान रहें की माणिक्य,पुखराज,लाल मूंगा और
उनके विकल्प रत्नों के साथ नीलम को नहीं पहना जाना चाहिए।