ग्रह | राशि | अंश | राशि स्वामी | नक्षत्र | नक्षत्र स्वामी | नक्षत्र पद | घर |
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Y | Y | Y | Y | Y | Y | Y | Y |
ग्रह स्थिति-ग्रह स्थिति-ग्रहो के वर्तमान गोचर को कहा जाता है,प्रत्येक क्षण ग्रह इस पृथ्वी की परिक्रमा करते रहते है इस परिक्रमा के मान को राशियों,नक्षत्रो व नक्षत्रो के चरणों द्वारा अंशात्मक,कलात्मक स्थिति अनुसार जाना जाता है।ग्रहो की वर्तमान स्थिति को जानना ही ग्रह स्थिति है।ग्रह स्थिति द्वारा ही वर्तमान व भविष्य में होने वाली सभी शुभ-अशुभ घटनाओ का पता चलता है।
ग्रह स्थिति में मुख्य बिंदु इस प्रकार है
ग्रह-सूर्यादि ग्रह अर्थात सूर्य-चन्द्रमा-मंगल-बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनि-राहु-केतु-यूरेनस-नेप्तुने-प्लूटो क्रमशःयह ग्रह मूल है।
डिग्री-ग्रहो के राशि-अंश-कला विक्ला की जानकारी डिग्री द्वारा प्राप्त होती है।नक्षत्र-ग्रहो के संचरण नक्षत्रो के आधार पर किया जाता है,नक्षत्र की संख्या 27 होती है,ग्रह वर्तमान में किस नक्षत्र में ग्रह स्थित है इसकी जानकारी ग्रह के संचरण पर स्थित है।
चरण-ग्रह किस नक्षत्र के किस पद अर्थात चरण में है पद की जानकारी द्वारता पता चलता है।
नक्षत्र स्वामी-ग्रह नक्षत्र में संचरण करते है प्रत्येक ग्रह के 3 नक्षत्र होते है और ग्रह किस नक्षत्र में है इसकी जानकारी से ग्रह की शुभता-अशुभता का पता चलता है की ग्रह मित्र,सम या शत्रु ग्रह के नक्षत्र में संचरण कर रहा है।
12 राशियाँ आकाश मण्डल में स्थित है। राशि शब्द का अर्थ ढेर अथवा समूह है। चूँकि राशियाँ नक्षत्र समूह से बनी है इसलिए इन्हें राशि कहते है। अंग्रेज़ी में इन्हें साइन (sign) कहता...
द्वारा आचार्य पंकज जीसूर्य - सूर्यों नृपो न चतुरस्रमघ्यमदिनेन्द्रदिक् स्वर्णचतष्पदोग्र:। सत्वं स्थिरस्तिक्तपशुक्षितिस्तु पितं जरन्पाटलमूलवन्य:।।सूर्य की भोगोलिक...
द्वारा आचार्य पंकज जीसामान्य परिचय-आकाश मे स्थित ज्योतिर्पिंडो के संचार और उनसे बनने वाले पारस्परिक सम्बन्धो के पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करने वाली विधा का...
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